आतà¥à¤®à¤¾ का सà¥à¤µà¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯â€™
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Manmohan Kumar AryaDate
25-Apr-2016Category
à¤à¤¾à¤·à¤£Language
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UmeshUpload Date
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डा. रामनाथ वेदालंकार जी वेदों के पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ थे। अनेक विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के शà¥à¤°à¥€à¤®à¥à¤– से हमने उनके लिठवेदमूरà¥à¤¤à¤¿ समà¥à¤¬à¥‹à¤§à¤¨ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ उनका यशोगान à¤à¥€ सà¥à¤¨à¤¾ है। उनकी मृतà¥à¤¯à¥ पर मूरà¥à¤§à¤¨à¥à¤¯ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ ने विवेचना पूरà¥à¤µà¤• उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ मोकà¥à¤·à¤ªà¤¦ का उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤§à¤¿à¤•à¤¾à¤°à¥€ à¤à¥€ कहा था। हमारा सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ है कि हमें उनके साथ जीवन का कà¥à¤› समय वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ करने का अवसर मिला और हमने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ बहà¥à¤¤ निकट से देखा है। अनेक विषयों पर उनसे चरà¥à¤šà¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ कीं और उनसे समाधान पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ किये। वैदिक विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ डा. रामनाथ वेदालंकार जी ने विसà¥à¤¤à¥ƒà¤¤ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤-हिनà¥à¤¦à¥€ सामवेद à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ सहित वेदों पर अनेक गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ का पà¥à¤°à¤£à¤¯à¤¨ किया जो वेद पिपासà¥à¤“ं के लिठअमृत के समान हैं। ‘वेद मंजरी’ उनकी à¤à¤• पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¼à¤¦à¥à¤§ कृति है जिसमें उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने चार वेदों से चà¥à¤¨à¤•à¤° 365 वेद मनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ की आननà¥à¤¦à¤°à¤¸ से यà¥à¤•à¥à¤¤ मन व आतà¥à¤®à¤¾ को à¤à¤‚कृत करने वाली वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ की है। हमने उनके पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ सà¤à¥€ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ को पढ़कर उस अमृत रस का पान किया है जिसे उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपने जीवन à¤à¤° की तपसà¥à¤¯à¤¾ से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर वेद पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को अपने गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ के माधà¥à¤¯à¤® से वितरित किया है। आज हम इस लेख में वेद मंजरी से ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦ के 2.8.5 मनà¥à¤¤à¥à¤° की à¤à¤¾à¤µà¥‚परà¥à¤£ जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤µà¤°à¥à¤§à¤• वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾ को पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ कर रहे हैं। यह मनà¥à¤¤à¥à¤° हैः
अतà¥à¤°à¤¿à¤®à¤¨à¥ सà¥à¤µà¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯à¤®à¥, अगà¥à¤¨à¤¿à¤®à¥à¤•à¥à¤¥à¤¾à¤¨à¤¿ वावृधà¥à¤ƒà¥¤
विशà¥à¤µà¤¾ अधि शà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹ दधे।।
इस मनà¥à¤¤à¥à¤° का ऋषि मृतà¥à¤¸à¤®à¤¦à¤ƒ, देवता अगà¥à¤¨à¤¿à¤ƒ तथा छनà¥à¤¦ निचृदॠगायतà¥à¤°à¥€ है। मनà¥à¤¤à¥à¤° का पदारà¥à¤¥ हैः (सà¥à¤µà¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯à¤®à¥ अनà¥) सà¥à¤µà¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ (अतà¥à¤°à¤¿à¤®à¥ अगà¥à¤¨à¤¿à¤®à¥) तà¥à¤°à¤¿à¤µà¤¿à¤§ सनà¥à¤¤à¤¾à¤ªà¥‹à¤‚ à¤à¤µà¤‚ तà¥à¤°à¤¿à¤µà¤¿à¤§ दोषों से रहित आतà¥à¤®à¤¾ को (उकà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¤¿) सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ गीत (वावृधà¥à¤ƒ) बढ़ाते हैं। (वह आतà¥à¤®à¤¾) (विशà¥à¤µà¤¾) समसà¥à¤¤ (शà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤ƒ) शोà¤à¤¾à¤“ं को (अधि दधे) धारण कर लेता है।
वेदों के मरà¥à¤®à¤œà¥à¤ž विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ आचारà¥à¤¯ डा. रामनाथ वेदालंकार जी ने इस मनà¥à¤¤à¥à¤° की वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾ करते हà¥à¤ लिखा है कि ‘करà¥à¤®à¤«à¤² à¤à¥‹à¤—ने तथा नवीन कारà¥à¤¯ करने के लिठशरीर में आया हà¥à¤† मनà¥à¤·à¥à¤¯ का जीवातà¥à¤®à¤¾ बहà¥à¤¤ बार तà¥à¤°à¤¿à¤µà¤¿à¤§ दà¥à¤ƒà¤–ों से संतपà¥à¤¤ होता रहता है। ये तà¥à¤°à¤¿à¤µà¤¿à¤§ दà¥à¤ƒà¤– हैं--आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• दà¥à¤ƒà¤–, आधिà¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• दà¥à¤ƒà¤–, आधिदैविक दà¥à¤ƒà¤–। दà¥à¤ƒà¤– तो तीनों ही मन दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ आतà¥à¤®à¤¾ को अनà¥à¤à¤µ होते हैं, पर दà¥à¤ƒà¤–ों का कारण तà¥à¤°à¤¿à¤µà¤¿à¤§ होने से दà¥à¤ƒà¤– तà¥à¤°à¤¿à¤µà¤¿à¤§ कहे गये हैं। आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• दà¥à¤ƒà¤– किसी मनोवांछित दिवà¥à¤¯ पदारà¥à¤¥ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ न होने के कारण, अधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®-साधना के विफल होने के कारण या आतà¥à¤®à¤¾, मन, बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ आदि के सदोष हो जाने के कारण अनà¥à¤à¥‚त होते हैं। आधिà¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• दà¥à¤ƒà¤– शरीर à¤à¤µà¤‚ इनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के रूगà¥à¤£, अशकà¥à¤¤ आदि हो जाने के कारण होते हैं। आधिदैविक दà¥à¤ƒà¤– अतिवृषà¥à¤Ÿà¤¿, अनावृषà¥à¤Ÿà¤¿, विदà¥à¤¯à¥à¤¤à¥à¤ªà¤¾à¤¤, दà¥à¤°à¥à¤à¤¿à¤•à¥à¤·, à¤à¥‚कमà¥à¤ª आदि दैवी उपदà¥à¤°à¤µà¥‹à¤‚ के कारण होते हैं। आतà¥à¤®à¤¿à¤•, वाचिक और शारीरिक दोष अथवा आतà¥à¤®à¤¾, मन à¤à¤µà¤‚ शरीर के दà¥à¤ƒà¤– à¤à¥€ तà¥à¤°à¤¿à¤µà¤¿à¤§ सनà¥à¤¤à¤¾à¤ª कहलाते हैं। ये सब तà¥à¤°à¤¿à¤µà¤¿à¤§ दà¥à¤ƒà¤– सनà¥à¤¤à¤¾à¤ª या दोष जिस आतà¥à¤®à¤¾ में नहीं रहते वह आतà¥à¤®à¤¾ ‘अ-तà¥à¤°à¤¿’ कहलाता है। वह ‘अ-तà¥à¤°à¤¿’ ही आतà¥à¤®-सà¥à¤µà¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ का अधिकारी होता है। अनà¥à¤¯à¤¥à¤¾ जब तक मनà¥à¤·à¥à¤¯ का आतà¥à¤®à¤¾ तà¥à¤°à¤¿à¤µà¤¿à¤§ दà¥à¤ƒà¤–ों या दोषों से संतपà¥à¤¤ रहता है, तब तक वह अपने शरीर मन, पà¥à¤°à¤¾à¤£, इनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¯ आदि पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤“ं का सरà¥à¤µà¤¤à¤¨à¥à¤¤à¥à¤°-सà¥à¤µà¤¤à¤¨à¥à¤¤à¥à¤° अधीशà¥à¤µà¤° नहीं कहला सकता। ‘अतà¥à¤°à¤¿’ होकर आतà¥à¤®à¤¾ जब सà¥à¤µà¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर लेता है, अपनी इचà¥à¤›à¤¾à¤¨à¥à¤¸à¤¾à¤° मन, बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿, पà¥à¤°à¤¾à¤£, इनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¯, शरीर आदि को संचालित करने लगता है, तब ‘उकà¥à¤¥’ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ मन, इनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ आदि दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ किये जानेवाले सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ गीत उसे बढ़ाने लगते हैं, समृदà¥à¤§ और महिमानà¥à¤µà¤¿à¤¤ करने लगते हैं। इस सà¥à¤µà¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ आतà¥à¤®à¤¾ समसà¥à¤¤ शà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को, शोà¤à¤¾à¤“ं को, धारण कर लेता है। राषà¥à¤Ÿà¥à¤° में à¤à¤• समà¥à¤°à¤¾à¤Ÿ की जो सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ होती है, वह शरीर में उसकी हो जाती है। जैसे सà¥à¤µà¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯-काल में राषà¥à¤Ÿà¥à¤° में à¤à¤• समà¥à¤°à¤¾à¤Ÿà¥ की जो सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ होती है, वह शरीर में उसकी हो जाती है। जैसे सà¥à¤µà¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯-काल में राषà¥à¤Ÿà¥à¤° की समसà¥à¤¤ गतिविधियां उसके समà¥à¤°à¤¾à¤Ÿà¥ के अधीन होती है, कोई उसके साथ विदà¥à¤°à¥‹à¤¹ नहीं कर सकता, वह सरà¥à¤µà¤µà¤¿à¤§ शोà¤à¤¾à¤“ं से समà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ होता है, वैसे ही सà¥à¤µà¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ में आतà¥à¤®à¤¾ à¤à¥€ शà¥à¤°à¥€-समà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨, दैवी-समà¥à¤ªà¤¦à¤¾à¤“ं से यà¥à¤•à¥à¤¤ तथा दà¥à¤·à¥à¤ªà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के उपदà¥à¤°à¤µà¥‹à¤‚ से विहीन हो जाता है। आओ, हम à¤à¥€ आतà¥à¤®à¤¾ को ‘अतà¥à¤°à¤¿’ बनायें, सà¥à¤µà¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ का आराधक बनायें, सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का पातà¥à¤° बनायें और अनà¥à¤¤à¤¤à¤ƒ उसे समसà¥à¤¤ आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• शोà¤à¤¾à¤“ं à¤à¤µà¤‚ गरिमाओं से अलंकृत कर लें।’
वेदों का सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ करने से मनà¥à¤·à¥à¤¯ का आतà¥à¤®à¤¾ वेदों के करà¥à¤¤à¤¾ ईशà¥à¤µà¤° व वेद के वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤•à¤¾à¤° की आतà¥à¤®à¤¾ से जà¥à¤¡à¤¼ जाता है और इस सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ से उसके गà¥à¤£à¥‹à¤‚ में वृदà¥à¤§à¤¿ व अवगà¥à¤£à¥‹à¤‚ का नाश होता है। वेदों के सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ से वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ जीवन उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है साथ हि परजनà¥à¤® à¤à¥€ सà¥à¤§à¤°à¤¤à¤¾ है। वेदों के सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ के अनेक लाठहैं, हानि कà¥à¤› à¤à¥€ नही। अतः सबको वेदों का सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ कर ईशà¥à¤µà¤° और अपने पूरà¥à¤µà¤œ ऋषियों की आजà¥à¤žà¤¾ ‘सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¾à¤¨à¥ मा पà¥à¤°à¤®à¤¦à¤ƒ’ का पालन कर निशà¥à¤šà¤¿à¤¨à¥à¤¤ होना चाहिये। इसी के साथ हम डा. रामनाथ वेदालंकार जी की उकà¥à¤¤ वेदमनà¥à¤¤à¥à¤° वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾ पाठकों को सादर à¤à¥‡à¤‚ट करते हैं।
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